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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

जो चाहो यूँ छूमंतर हो जावे...


शीर्षक:जो चाहो यूँ छूमंतर हो जावे

जो चाहो यूँ छूमंतर हो जावे,
अनचाहा दिल से मेल बढ़ावे l

क्यूँ तू ऐसी-वैसी फ़सल उगावे,
जिसमें सब कुछ ही जल जावे l

ऊँची नीची, झूठी ,तिरछी बातें,
सीधे सच्चे लोगों को ना आवे l

तन्हा तन्हा सबकी रातें कहतीं,
कोई ख्वाब खुला मिल जावे l

उधड़े बिखरे सब हैं रिश्ते सारे,
एक ही धागे में सब सिल जावे l

जो दर्द टीसती रहती है सीने में,
उन सबको मरहम मिले जावे l

जो संग चले पर भटके राहों में,
फागुन मास में फिर मिल जावे l

बेरंगी दुनिया में कैसे "विजय" हो,
बस,कुछ ना आवे कुछ ना भावे l

विजय प्रकाश श्रीवास्तव (c)




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

Manju Sharma said

Shandar rachna

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

आ. मंजू शर्मा जी, आप का बहुत आभार और हार्दिक धन्यवाद 🙏

Nand Kishor said

Waah laazwaab 👌👏👏

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

आ. नंद किशोर जी, आप का बहुत-बहुत आभार और हार्दिक धन्यवाद 🙏

Mohan Kumar said

शानदार रचना बहुत खूब

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

आ. मोहन कुमार जी, आप का बहुत-बहुत आभार और हार्दिक धन्यवाद 🙏

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

आपकी रचना जैसे जीवन की उलझनों में सादगी की तलाश करती एक दुआ हो।
हर शेर एक सवाल भी है और एक उम्मीद भी —
"उधड़े रिश्ते, तन्हा रातें, अनकही टीस... और फिर भी मन ये चाहे कि सब फिर से सिल जावे!"
आपके शब्द दर्द की गहराई और सुकून की ख्वाहिश दोनों को छूते हैं। 🌿🕊️
आदरणीय को सादर प्रणाम!!

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

आ. अशोक कुमार जी, रचना आप को पसंद आई, इसके लिए आप का आभार और हार्दिक धन्यवाद. रचना सब तक पहुंचे इसके लिए आप का प्रयास प्रशंसनीय है. 🙏

आलोक कुमार गुप्ता said

हर पंक्ति जैसे किसी टूटी उम्मीद को जोड़ती चली गई 👌👏👏

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

आ. आलोक कुमार गुप्ता जी, आप के उत्साहवर्धन के लिए मेरा आभार स्वीकारें . आप का हार्दिक धन्यवाद 🙏

ANIL KUMAR SHARMA said

बहुत सुंदर भाव और सहज प्रवाह! 🙌

विजय प्रकाश श्रीवास्तव replied

आ. अनिल कुमार शर्मा जी, आप का बहुत-बहुत आभार और हार्दिक धन्यवाद 🙏

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