तुम देखती हो ऐसे
डरा दोगी क्या।
प्यार के बदले में ऐसी शीला
दोगी क्या।
बड़ा लुत्फ़ था जब कुंवारे थे
हम तुम।
हक़ीक़त में हीं नहीं
सपनों में भी मिलते थे हम तुम।
तुम सपनों की रानी
मैं तुम्हारा राजकुमार होता था
जो घोड़े पर सवार हो
तुमको चांद के इस पार ले जाता था।
निगाहें निगाहों में डूबे रहते थे।
लबों पे नाम एक दूजे का लेकर
बस मिलने की दुआएं मांगा करते थे।
पर आज़ जो तुम चार बच्चों की अम्मा
हो गई हो।
कुछ ज्यादा हीं हसीन और ज़वान हो गई हो।
ये माना उम्र ज्यादा नहीं है
बच्चे बड़े ना सही
पर तुम भी नई नहीं हो।
अब सारा प्यार बच्चों परिवार पर उड़ेल
देती हो।
हमने ऐसा क्या खता कर दी जो
हमारी थोड़ी भी सुधी ना लेती हो।
जब भी में प्रेम रस की बात करता
तुम किचन में घुस जाती हो।
अपने सपने छोड़ बच्ची के भविष्य में
खो जाती हो।
सच कहता हूं उस समय
मुझे तुमपे प्यार बहुत आता है।
और क्या कहूं ऐ मेरी रहगूजर रहबर..
बड़े हीं नसीबों वाला
तुम्हारी जैसी अर्द्धांगिनी पाता है।
तुम्हारी जैसी अर्द्धांगिनी पाता है...