आज नहीं तो कल ये नकाब खोना है
हर किसी का कभी तो हिसाब होना है
बच कहां तक पाएंगे अपने ही जुर्म में
इंसाफ से एक दिन सामना तो होना है
कोई जब साथ नहीं देता मजलूमों का
किसी ना किसी का अवतार होना है
हमेशा नहीं रहती शमशीर की चमक
मुहब्बत के लिए ये अदना खिलौना है
दास कहाँ तक जिन्दगी से भाग पायेंगे
एक आँख में ख़ुशी एक आँख में रोना है II