हर बात सुनी जाती है गर सलीका हो कहने का,
लहजा तय करता है दिल से उतरने या रहने का।
शब्द ही घाव भरते या घाव देते दिलोदिमाग में,
न कहना कुछ भी गर हुनर न हो बात कहने का।
भावों से बाँध कर रखें हैं कुछ दिली इमारतों को,
डर लगा रहता है सदा, शब्दों से उनके ढहने का।
बात है तलवार की तरह काटोगे या फिर कटोगे,
काट रहे तो ताकत रखना वापस वार सहने का।
नदी की धार है बात जो फिर वापस लौटती नहीं,
डूबोगे गर सीखा नहीं फन धार के साथ बहने का।
🖊️सुभाष कुमार यादव

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




