जो बार-बार टूटता है वो दिल हीं तो है
सह जाता है हर सितम वो दिल हीं तो है
जज़्बातों से खेलते हैं बेवफ़ाई करने वाले
टूकड़ों में बिखर जाता है वो दिल हीं तो है
जब छा जाता है किसी पर प्यार का जुनून
मानता नहीं बंदिशों को वो दिल हीं तो है
इंतज़ार में कभी किसी को क़रार नहीं आता
जो बेक़रार रहता है वो दिल हीं तो है
हम भरोसे पे अपनी ज़िंदगी लुटा तो देते हैं
मगर बदल जाता है वक़्त पर वो दिल हीं तो है
सितम सह कर भी जो मोह के धागे मेंउलझा रहता है
निकल पाता नहीं होकर मज़बूर जिससे वो दिल हीं तो है
हर ज़ख्म दबाये धड़कता रहता है सीने में मगर
इक रोज़ सदा के लिए धड़कना छोड़ देता है वो दिल हीं तो है