खुद की हँसी बनावटी
असल जिन्दगी दिखावटी
अनबन में जी रहे हम
तेवर दबाये रखे बग़ावती
सीधी साधी कभी रहीं
हर पल जीवन मिलावटी
दिल में कुछ मन में कुछ
रंग मंच की बनी कलावती
जब से काव्य से जुड़ी
शब्द लगने लगे सजावटी
कल्पना उड़ान भरती 'उपदेश'
भावनाओ की देती आहूति
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद