दुख में भी सुख ही ढूँढना
भगवान बन नहीं सकते
इतने सुलझे हुए इंसान हम हैं नहीं
कि दूसरों के दुख दूर कर सकें
एक समय था
जब हमें सब सुखी लगते थे
हमारे सिवा
आज जब लोगों को दिल से समझना शुरू किया
तो जाना कि दुख क्या होता है
अपनी जिन परेशानियों को हम दुख कहते थे
आज जाना कि
बहुतों के दुखों के आगे तो हमारे दुख भी सुख जैसे ही थे
आज अपनी ही लिखी बात को मानने का मन करता है
कि दुखों में भी जो सुख के पल ढूँढना सीख गया
समझ लेना वो सही मायिने में ज़िन्दगी जीना सीख गया ..
वन्दना सूद
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




