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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

महमान बन कर आई है गौरैया

महमान बन कर आई है गौरैया
आँगन में बैठी दाना खाया और
बिना घर को देखे उडी गौरैया
कंक्रीट सीमेंट इट से बने घर
से कुछ नाराज़ दूर बैठी गौरैया
अब पता चला इतने दिन कहाँ
थी गायब, पुरानी साथी गौरैया
कच्चे घरों के छत से लटकते
तिनको से घर बनती थी गौरैया
आँगन में बिखरे अनाज के दाने
उठा उठा बच्चे पलती गौरैया
हम भी पकड़ते थे बंद दरवाजे
कर, स्याही से रंगते उड़ाते गौरैया
सुना था जीवन सुना था घर दवार
महमान बन कर आई है गौरैया
माटी के घर लकड़ी की छत
में एक हिस्सेदार थी गौरैया
उसमे उड़ना सिखते छोटे बच्चे
नाराज़ होकर चली गई दूर गौरैया
आज महीनो बाद फिर सावन में
महमान बन कर आई है गौरैया










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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

Sanjay Srivastva said

सही तथ्य को प्रस्तुत किया आपने

Devender Kumar replied

कोटि कोटि प्रणाम महोदय जी

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