महमान बन कर आई है गौरैया
आँगन में बैठी दाना खाया और
बिना घर को देखे उडी गौरैया
कंक्रीट सीमेंट इट से बने घर
से कुछ नाराज़ दूर बैठी गौरैया
अब पता चला इतने दिन कहाँ
थी गायब, पुरानी साथी गौरैया
कच्चे घरों के छत से लटकते
तिनको से घर बनती थी गौरैया
आँगन में बिखरे अनाज के दाने
उठा उठा बच्चे पलती गौरैया
हम भी पकड़ते थे बंद दरवाजे
कर, स्याही से रंगते उड़ाते गौरैया
सुना था जीवन सुना था घर दवार
महमान बन कर आई है गौरैया
माटी के घर लकड़ी की छत
में एक हिस्सेदार थी गौरैया
उसमे उड़ना सिखते छोटे बच्चे
नाराज़ होकर चली गई दूर गौरैया
आज महीनो बाद फिर सावन में
महमान बन कर आई है गौरैया