ख्वाहिशों के समंदर में डूबे हुए लोग
किनारे पर कभी आना नहीं चाहते!
फूल गुलशन में तो खार सा हो गया है
इश्क भी आजकल रार सा हो गया है
जो अच्छा किया वो दरिया में बह गया
दिन नकद भी अब उधार सा हो गया है!
अगर कोई साथ नहीं तो अकेले चलना पड़ता है
अपने गमों से आदमी को ख़ुद ही लड़ना पड़ता है!
मन में जब कोई गुबार होता है
आदमी हर तरह बीमार होता है
कभी जरा सी बात पर हँसता है
और कभी बिना बात ही रोता है!
हमने उनको कलाम भेजे हैं
खुशबुओं के सलाम भेजे हैं
कुछ भी नहीं है हमारे पास
कुछ खिलते गुलाब भेजे हैं!
दिलजलों से बात करना कौन चाहेगा
जलजलों के साथ रहना कौन चाहेगा
खामोश रहने की तलब गर हमको है
हलचलों के साथ रहना कौन चाहेगा!
उनके पंजो से बहुत दूर हो गए हैं
लगता है खट्टे यहाँ अंगूर हो गए हैं!
किसी के बिना कहाँ किसी का काम रुकता है
हम हों ना हों दास दुनियां यूहीं चलती रहेगी बस!