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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

तेज प्रकाश पांडे जी की रचना,फिर और ना चाहे रब से अब

जाने का उनके शोक न था,
वो लौट के आये मोह न था !
न आशा उनको पाने की,
वो मेरे हो ये चाह न थी !
जगका वो उद्धार करे,
सपने अपने साकार करे !
पथ बाधा मैं न बनु कभी,
इसलीये हदय में कराह न थी !
था दर्द कहीं मेरे सीने में,
आंसू पर उस दिन एक न थे !
मृत् पड़े थे सपने सभी मेरे,
पर रोकु उन्हें ये नियत न थी !
मालूम था मुझे है अंतिम पल,
पलके मेरी पर खुली न थी !
यादे आती थी पिछली कुछ,
सांसे मेरी कुछ थमी सी थी !
विधिना का यह विधान समझ ,
पथ में उनके मैं खड़ी न थी !
चाहु तो पालू आज भी मैं,
मैं प्रेम में इतनी गहरी थी!
पर हक छीनु किसी और का मैं,
इतनी भी मैं तो निठुर न थी !
हल्दी लगी थी मुखड़े पर,
मुझको तो कालिख लगती थी!
मेरे हाथों की मेहंदी भी,
कांटो सा मुझको चुभती थी!
पावो की पायल बेडिया लगे,
मेरे कदमों को रोके थी!
हाथो की चूड़ी हथकड़िया,
हार गले को जकड़े था !
हत्या हुई थी मेरी जब,
सिन्दूर शीश पर भर गया !
पर कैसे कहु उस दिन घर मेरे,
मंगलाचार था किया गया !
मेरी बेबसी थी क्या उस दिन ,
जब डोली गैर के संग उठी !
रह गइ स्तब्ध अपलक सी मैं,
बस अक्श में मेरे अश्रु था !
हा मार्ग बहुत है जीवन में ,
पर तुमने कैसा मार्ग चुना !
खुद गैर की बाहो में बैठे ,
मुझको कांटो का हार दिया !
तुम समर्थ मैं बेबस थी ,
लज्जा का वरण किया जो था !
फ़िर भी मैं कुछ ना कहूँ,
मेरे हृदय में एक ही आशा है !
सपनों में मुझसे मिलना सही,
यादों में मुझको रख लेना !
अपने जाने से पहले मुझको,
बस एक झलक दिखला देना !
मेरी आँखे बस चाहे ये,
एक बार देखले तुमको जब !
भर ले तुमको जीवन भर को ,
फिर और ना चाहे रब से अब !

- तेज प्रकाश पांडे
[सतना मध्य प्रदेश]




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (2)

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Raghav said

Lambi Kavita hai lekin bahut Sundar hai khaskar shabdon per acche tarike se Dhyan Diya gaya hai

Arpita pandey said

सुंदर

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