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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

भटक रही हूं ढूंढने को उसे

उसके हिज़्र में मैं मिटती जा रही हूॅं,
उस कमबख़्त को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि
हिज़्र में उसके क्या से क्या हुए जा रही हूॅं। ‌‌
भटक रही हूॅं ढूॅंढने को उसे घर,मोहल्लों,गलियों में
भटक रही हूॅं ढूॅंढने को उसे घर, मोहल्लों, गलियों में
मिल रहा है वो मुझे यहाॅं भी नहीं और वहाॅं भी नहीं।।

खेल रहा है आंख मिचौली संग मेरे,
शायद खेलना आंख मिचौली पसंद है उसे
कब तक करेगा ऐसी नदानियाॅं वो,
एक ना एक दिन तो निकल के आयेगा सामने मेरे।
भटक रही हूॅं ढूॅंढने को उसे घर, मोहल्लों, गलियों में
भटक रही हूॅं ढूॅंढने को उसे घर, मोहल्लों, गलियों में
मिल रहा है वो मुझे यहाॅं भी नहीं और वहाॅं भी नहीं।।

उसका और मेरा राब्ता बड़ा ही हसीन है
पर उसे खबर नहीं बेखबर वो है।
उसके लिए मेरा दिल कितना धड़कता है ये उसे
कैसे पता होगा?
मेरी धड़कनों से तो वो वाक़िफ़ ही नहीं है।
भटक रही हूॅं ढूॅंढने को उसे घर, मोहल्लों, गलियों में
भटक रही हूॅं ढूॅंढने को उसे घर, मोहल्लों, गलियों में
मिल रहा है वो मुझे यहाँ भी नहीं और वहाॅं भी नहीं।।

~ रीना कुमारी प्रजापत




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

Uttam Bahut Khoob Kya Hi Kahne "खेल रहा है आंख मिचौली संग मेरे, शायद खेलना आंख मिचौली पसंद है उसे " Pranaam Sweekar Karein...

रीना कुमारी प्रजापत replied

प्रणाम🙏 शुक्रिया

Lekhram Yadav said

अरी बहना वो ऐसे मिलेगा भी नहीं बस एक बार सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट डाल दो फिर देखो पोस्ट किस तरह वायरल होती है। जैसे ही पोस्ट वायरल होगी, वो अपने आप खिंचा चला आएगा। वैसे तलाश जारी रखिए कविता बहुत मजेदार है।

रीना कुमारी प्रजापत replied

Bhaiyya हर कविता कवि की हक़ीक़त नहीं होती

Updesh Kumar Shakyawar said

👌👍🙏🏻

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