आज बहुत दुःख हो रहा है,
उसके बिना अधूरा सा लग रहा है।
उसे जाना ही था तो आया था क्यों?
वजह मुझे अच्छे दोस्तों से मिलवाना लग रहा है।
आज गई थी उसके दर पर मिलने उसे,
पर वो अब वहाॅं था ही नहीं।
सुना है अब कहीं और है ठिकाना उसका,
उस ठिकाने पर मेरा जाना वाजिब नहीं।
कई उम्मीदें मिट गई उसके जाने से,
उसमें मैं अपना कल देखती थी।
उसके बिना मेरा कल रहा ना आज रहा,
उसमें मैं अपनी पूरी ज़िंदगी देखती थी।
जब एहसास हुआ उसके जाने का,
तो जो सपने देखे थे वो फिर से आँखों में
उतरने लगे हैं।
अब कोई वजूद नहीं रहा उनका,
अब ये धीरे - धीरे ख़त्म होने लगे हैं।
~रीना कुमारी प्रजापत