अब दूर तक कहां बाकी,रही सरहदें निगाहों की..
सुनेगा भी अब कौन ज़माना, सदाएं आहों की..।
बदला तो सब कुछ, बदल गया इस जहाँ में..
नदिया, सागर बदले, बदली दिशा हवाओं की..।
मुहब्बत में देखे नहीं, अब झर झर बहते आंसू..
हर चीज़ का दाम लगा, मंडी लगती चाहों की..।
जाने क्यूं हर कोई रहता है, नशे में ग़ाफ़िल यहां..
मगर ये जान लो कि, मंज़िल नहीं इन राहों की..।
इस शहर में आग सुलगती, कहीं उठता धुंआ है..
सब लिए फिरते हैं, फहरिस्त औरों के गुनाहों की..।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




