तुम तो मेरी तस्वीर को भी संभालते हो ऐसे,
जैसे कोई अपनी मिल्कियत संभालता हो।
और उसने निकाला मुझे अपने दिल से ऐसे,
जैसे कोई अनाज में से कंकड़ निकालता हो।
वजह क्या है इस भेद की ?
जैसी हूॅं तुम्हारे साथ वैसी ही हूॅं उसके साथ भी।
फिर भी क्यों मैं तुम्हें पसंद हूॅं,
और उसे बिल्कुल भी नहीं।
क्या वजह ये हो सकती है ?
कि हूॅं तुमसे दूर तो तुम अहमियत समझते मेरी।
और हूॅं उसके पास तो,
कद्र नहीं उसे मेरी।
क्या हो सकती है वजह इसकी ?
कि खून का रिश्ता भी आज मुझसे
नफ़रत करने लगा।
और दिल का रिश्ता,
मुझे हद से ज़्यादा चाहने लगा।
रिश्ता दोनों से एक है,
फ़र्क बस खून और दिल का है।
फिर भी क्यों मैं तुम्हें पसंद हूॅं,
और उसे बिल्कुल भी नहीं।
✍️ रीना कुमारी प्रजापत ✍️
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




