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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra The Flower of WordThe novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayara By Reena Kumari Prajapat

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The novel 'Nevla' (The Mongoose), written by Vedvyas Mishra, presents a fierce character—Mangus Mama (Uncle Mongoose)—to highlight that the root cause of crime lies in the lack of willpower to properly uphold moral, judicial, and political systems...The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

                    

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (1857-1947)

विषय - भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन (1857-1947)
लेखिका- रीना कुमारी प्रजापत


इस लेख में मैं आपको "भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन" (1857-1947) के बारे में जानकारी दूंगी। कौनसा आंदोलन कब व किसने चलाया ?, कौनसा स्वतंत्रता सेनानी किस आंदोलन से संबंधित रहा और आंदोलन में उनकी क्या भूमिका रही ? और भारत की आज़ादी में किस स्वतंत्रता सेनानी ने अपना क्या योगदान दिया ? इन सबके बारे में आज मैं इस लेख में बताउंगी ।

1). सविनय अवज्ञा आंदोलन:- 1930 में साबरमती आश्रम में इस आंदोलन का नेतृत्व महात्मा गांधी को सौंप दिया गया। जब वायसराय लार्ड इरविन ने गांधी जी की 11 सूत्री मांगें नहीं मानी तो गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत कर दी और यह शुरुआत 6 अप्रैल 1930 को दांडी में समुद्री तट पर नमक कानून तोड़ कर की गई। दांडी यात्रा गांधी जी ने अपने 78 साथियों के साथ 12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से शुरू की थी। इस आंदोलन में सबसे ज्यादा उम्र के महात्मा गांधी थे और सबसे कम उम्र के विट्ठल लीलाधर ठक्कर थे जो की मात्र 16 वर्ष की आयु के थे , दांडी मार्च में गांधी जी के साथ अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर भी थे।

गांधी जी का अनुसरण करते हुए तमिलनाडु में तंजौर के समुद्री तट पर सी. राजगोपालाचारी द्वारा त्रिचिनापल्ली से वेदारण्यम तथा मालाबार में वैंकम सत्याग्रह के नायक के. केल्लपन द्वारा कालीकट से पयान्नुर तक की नमक यात्रा की गई। सविनय अवज्ञा आंदोलन के चलते 5 मई को गांधी जी को गिरफ्तार कर यरवदा जेल भेज दिया जाता है और फिर इस आंदोलन का नेतृत्व वयोवृद्ध अब्बास तैयबजी संभालते हैं और फिर धरसणा मार्च का नेतृत्व सरोजिनी नायडू संभालती है लेकिन फिर सरोजिनी नायडू को भी गिरफ्तार कर लिया जाता है।

सिंध में इस आंदोलन को स्वामी गोविंदा नंद संभाले हुए थे, 1930 में खूबचंद बघेल ने सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान वन कानून का उल्लंघन किया।

आगे चलकर गांधी इरविन समझौते के तहत सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त कर दिया गया। इस तरह सविनय अवज्ञा आंदोलन में महादेव देसाई,खान अब्दुल गफ्फार खान,सरदार पटेल, जवाहर लाल नेहरु, प्यारे लाल,गांधीजी के पुत्र मणिलाल, जमनालाल बजाज, कमला नेहरू,मणिबहन, अमृत कौर, हंसा मेहता, यूसुफ मेहर अली,चंद्रवती जिन्हें नमक सत्याग्रह में भाग लेने के कारण जेल जाना पड़ा था,एनिबिसेंट,कमलादेवी चटोपाध्याय इत्यादि ने भारतीय स्वतंत्रता के सविनय अवज्ञा आंदोलन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

2). भारत छोड़ो आंदोलन:- भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त1942 को ग्वालिया टैंक मैदान बंबई से शुरू हुआ, इसे "अगस्त क्रांति" भी कहते हैं। "भारत छोड़ो आंदोलन" नारा यूसुफ मेहर अली ने दिया था। इस आंदोलन में युवाओं और महिलाओं की विशेष भूमिका रही है, वीरांगना मातंगिनी हाजरा जो कि मिदनापुर में राष्ट्रीय झंडा लिए जुलूस का नेतृत्व कर रही थी को पुलिस ने अपनी गोलियों का निशाना बनाया।

अरुणा आसफ अली,सुचेता कृपलानी,राम मनोहर लोहिया और जय प्रकाश नारायण आदि ने साथ मिलकर भूमिगत रहकर आंदोलन चलाया। उषा मेहता ने कांग्रेस के गुप्त रेडियो कार्यक्रम का संचालन किया, बनारस की कचहरी पर राष्ट्रीय झंडा फहराने वाले छात्रा दल का नेतृत्व छात्रा स्नेहलता ने किया। इस आंदोलन का संदेश गांवों तक पहुंचाने का कार्य मोहमदाबाद के सीताराम राय तथा बलिया के पारसनाथ मिश्र ने किया। कृषक लोग तो इस आंदोलन की जान थे जिन्होंने पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल,महाराष्ट्र,गुजरात में विशेष सक्रियता दिखाई।

"ऑपरेशन जीरो ओवर" के तहत सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया जिससे यह आंदोलन नेतृत्वहिन हो गया।
गांधी जी और सरोजिनी नायडू को गिरफ्तार कर आगा खान जेल में डाला गया,नेहरू जी, पट्टाभीसीतारमैया को अहमदनगर जेल में डाला गया और राजेंद्र प्रसाद को बांकीपुर जेल, जयप्रकाश नारायण को हजारीबाग जेल में डाला गया।

1944 में भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव वापस ले लिया गया और सभी को रिहा कर दिया गया।

3). असहयोग आंदोलन:- असहयोग आंदोलन की शुरुआत अगस्त 1920 को हुई, इसका नारा था "एक वर्ष में पूर्ण स्वराज्य"। CCC (Court,Counsil, college) का बहिष्कार इसी आंदोलन में हुआ,इसके तहत स्कूलों और कॉलेजों का सर्वाधिक बहिष्कार बंगाल और सबसे कम बहिष्कार मद्रास में हुआ। इस आंदोलन के चलते गांधी जी ने बोअर पदक, जुलू पदक और केसर - ए - हिन्द की उपाधि और जमनालाल बजाज ने रायबहादुर की उपाधि त्यागी। गांधी जी ने इस आंदोलन के चलते मदुरै विजयवाड़ा सम्मेलन में 1921 में सिर्फ लंगोटी पहनने का निर्णय लिया। इस आंदोलन में सबसे पहले गिरफ्तार होने वाले व्यक्ति मोहम्मद अली थे। यह आंदोलन UP गोरखपुर के पास चौरी- चौरा नामक स्थान पर हिंसक हो जाने के कारण 4 फरवरी 1922 में वापस ले लिया गया, चौरी - चौरा की इस भीड़ का नेतृत्व भगवान अहीर कर रहे थे और इस कांड के बारे में गांधी जी को जो कि उस समय बारदोली में थे उन तक दशरथ प्रसाद द्विवेदी ने खबर पहुंचाई।

इसके अलावा इस आंदोलन में सी.आर. दास,सुभाषचंद्र बॉस,आचार्य नरेंद्र देव,राजेंद्र प्रसाद, सम्पूर्णानंद, लाला लाजपतराय,मौलाना आजाद,दानवीर शिवप्रसाद गुप्त आदि शामिल थे। इस आंदोलन के चलते MR जयकर,वल्लभ भाई पटेल, सी. राजगोपालाचारी,आसिफ अली, केलकर आदि ने वकालत छोड़ दी थी।

4). स्वदेशी आंदोलन:- ये आंदोलन बंगाल विभाजन के विरोध में 1905 में चलाया गया। विदेशी कपड़ों, विदेशी नमक का बहिष्कार होने लगा। इस आंदोलन में अश्विनी कुमार दत्त की उल्लेखनीय भूमिका रही, लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने स्वदेशी और बहिष्कार का संदेश देने के लिए महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज और गणेश उत्सवों की शुरुआत की,पंजाब में आंदोलन का नेतृत्व अजीतसिंह एवं लाला लाजपतराय ने किया।

दिल्ली में सैय्यद हैदर रजा तथा मद्रास में चिदंबरम पिल्लै की प्रमुख भूमिका रही। स्वदेशी आंदोलन का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर गहरा प्रभाव पड़ा, इस आंदोलन में प्रयुक्त स्वदेशी,असहयोग,बहिष्कार के सिद्धांत का प्रयोग स्वतंत्रता संग्राम के अंत तक किया जाता रहा, इस आंदोलन में भाग लेने के लिए पहली बार महिलाएं घर की दहलीजों से बाहर निकली।

इन सबके अतिरिक्त वी. डी. सावरकर जिन्होंने मित्र मेला संगठन स्थापित किया और 1907 में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की स्वर्ण जयंती मनाई, बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जिन्होंने प्रथम ब्रिटिश विरोधी आंदोलन "सन्यासी विद्रोह" की पृष्ठभूमि पर "आनन्द मठ" उपन्यास लिखा, रासबिहारी बोस जिन्होंने हार्डिंग बम कांड में अहम भूमिका निभाई और "इंडियन इंडिपेंडेंस लीग" की स्थापना की बाद में इसी का नाम "आज़ाद हिन्द फौज" पड़ा और इसकी कमान 1943 में सुभाष चंद्र बोस को सौंप दी गई, लाला लाजपतराय जिन्होंने पंजाबी और वंदे मातरम् दैनिक पत्र और "द पीपल" साप्ताहिक पत्र चलाया, विपिन चंद्र पाल जिन्हें "प्रथम राष्ट्रवाद का पैगम्बर" कहा जाता है ने "स्वराज्य" पत्रिका प्रकाशित की, चन्द्रशेखर आज़ाद जिन्होंने काकोरी काण्ड में सक्रिय भूमिका निभाई, भगत सिंह जिन्होंने छबीलदास और यशपाल के सहयोग से नौजवान सभा की स्थापना की ,सुखदेव जिन्हें "भगत सिंह का चाणक्य" कहा जाता है तथा बृज किशोर,नरहरी पारिख, जे बी कृपलानी, इंदुलाल याग्निक इत्यादि सभी ने भारतीय स्वतंत्रता में अपनी बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (3)

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ताज मोहम्मद said

बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी देने के आपका तहे दिल से शुक्रिया। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।

Lekhram Yadav said

अरी ओ मेरी प्यारी बहना, मैं तो समझता था कि आप एक उच्च कोटी की कवियित्री हो, मगर यह आज ही मालूम हुआ कि आप तो गले मसले भी उखाङने में बहुत माहिर हो। बङी सुन्दर प्रस्तुति है आपकी।

फ़िज़ा said

Sundar aalekh likha aapne suchna evam jankariyon se bhara hua

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