ना जान से ना पहचान से
जरूरतों की हिसाब से
बदल जातें हैं लोग।
भेष भूषा मज़हब रंग रूप
सब बदल लेते हैं लोग।
जरूरतों के हिसाब से बदल
जातें हैं लोग।
जरूरतों की हिसाब से यहां
सरकारें तो शासन प्रशासन
बदल जातें हैं।
बात व्यवहार मुलाकात जज़्बात
ख्यालात हालात बदल जातें हैं।
लोगों के पाले रखवाले चाहने वाले
साथी संघाती दोस्त यार प्यार
बदल जातें हैं।
और तो और सारे रिश्ते नाते बदल
जातें हैं।
विश्वास नहीं होता है नजरों को
कि कल तक जो हमदर्द थे वो
आज़ कमज़र्फ नज़र आते हैं।
और कल तक थीं जो सुहानी राहें वो
आज़ जर्द जर्द फर्द फर्द नजर आती है।
बड़े चालक हैं लोग आज़कल के
बन के लख्तेजीगर ज़िगर
दूसरों के ज़िगर निकाल लेते हैं ...
और बड़े प्यार अदब से...
जरूरतों के हिसाब से नज़र आते हैं।
जरूरतों की हिसाब से हर फर्ज़ अदा
करतें हैं लोग.. और क्या कहें यारों ..इस ज़माने में..
जरूरतों के हिसाब से पल पल बदल जातें हैं लोग...
जरूरतों के हिसाब से पल पल बदल जातें
हैं लोग...

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




