कापीराइट मुक्तक
धूप जितनी अधिक कड़ी होगी
तेरी, परीक्षा की, वो घड़ी होगी
चलते रहना तू, हौंसला रख के
ये मंजिल तेरे सामने खड़ी होगी
- लेखराम यादव
यह रचना, रचनाकार के
सर्वाधिकार अधीन है
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