दोस्तों,
आज मैं वेदव्यास मिश्र,
अपनी कलम से एक नई पहल की शुरुआत कर रहा हूँ।
एक ऐसी पहल…
जिसमें न सिर्फ़ शब्द हैं,
बल्कि भावना है,
समर्पण है,
और उन सभी रचनाकारों के लिए हमारा सम्मान है
जो Likhantu.com के साहित्यिक परिवार को जीवित रखते हैं।
हम सब जानते हैं कि Likhantu.com सिर्फ़ एक वेबसाइट नहीं —
यह स्व. श्री अशोक पचौरी जी का सपना था।
एक सपना —
जहाँ हर लेखक, हर कवि, हर विचारक
अपनी रचनाओं के माध्यम से
जीवन के हर पहलू को छू सके।
अफ़सोस…
अशोक जी आज हमारे बीच नहीं हैं।
उनके असमय चले जाने से
हम सबके मन में एक ऐसी शून्यता छोड़ दी
जिसे पूरी तरह भर पाना शायद कभी संभव नहीं।
लेकिन…
सपने कभी नहीं मरते!
उनके हाथों की रोशनी,
उनके मन की ऊर्जा,
और उनके शब्दों का आकाश —
आज भी हमसे कहता है:
“लिखो…
झुको नहीं…
और साहित्य को जिंदा रखो!”
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⭐ आज से एक नई शुरुआत
हम सभी रचनाकारों का यह फ़र्ज़ बनता है कि
हम इस मंच को फिर से
नयी ऊर्जा, नयी गति और नयी दिशा दें।
आज हम अपने उन साथियों की रचनाओं को पढ़ेंगे,
महसूस करेंगे,
और उनका ईमानदारी से समीक्षा-सम्मान करेंगे।
आज समीक्षा पर समीक्षा का एक छोटा सा प्रयास प्रस्तुत है..कृपया स्वीकार करें -
• लेखराम यादव
“खामोश हैं लब मेरे”
जहाँ मौन चीख बनकर दिल को हिला देता है।
• उपदेश कुमार शाक्यवार
“दिल नहीं लगता”
जिसका हर शब्द टूटे मन की सच्ची आवाज़ है।
• अभिषेक मिश्रा
“दहेज: एक सवाल”
जो समाज की एक कड़वी और ज़रूरी सच्चाई पर उंगली रखता है।
• प्रो. स्मिता शंकर
“समय की थाली में इंसानियत का अन्न”
जो मानवीय संवेदना को नए रूप में जगाती है।
• ललित दाधीच
“कर्तव्य की कसौटी”
जहाँ चरित्र, कर्म और समाज का संतुलन दिखता है।
• डॉ. अखिलेश श्रीवास्तव
“मेरी अधूरी कहानी”
जो अपूर्णता में छिपी परिपूर्णता का अहसास कराती है।
• छगन सिंह जेरठी
“उस पगली की प्रीत लिखूं”
भोलेपन और प्रेम की मनमोहक धुन।
• वंदना सूद
“ज़िंदगी कभी शून्य नहीं होती”
एक ऐसी रचना जो निराशा में भी उम्मीद ढूँढती है।
• शिवचरण दास
“धूप के साथ ही साए”
जीवन की द्वैतता को सामर्थ्य के साथ रखती है।
• मनोज कुमार सोनवानी ‘समदिल’
“ज़िंदगी के सफ़र में”
जो हर मोड़ को कविता में बदल देता है।
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⭐ हमारा संकल्प — Likhantu.com का स्वर्ण भविष्य
दोस्तों…
आज से, अभी से,
हम सब मिलकर एक प्रण लें—
✔ हर दिन दो रचनाकारों की रचनाओं की समीक्षा करेंगे।
✔ उनके शब्दों को सम्मान देंगे।
✔ उनकी सोच को साझा करेंगे।
✔ और इस साहित्यिक परिवार को फिर से मजबूत बनायेंगे।
यही हमारे द्वारा
स्व. अशोक पचौरी जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
उनके सपने को फिर से रास्ता मिलेगा,
उनके Likhantu.com को फिर से जीवन मिलेगा।
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⭐ अंत में…
“समीक्षा मेरी कलम से…”
ये सिर्फ़ एक शब्द नहीं —
एक ज़िम्मेदारी है।
एक संस्कृति है।
एक साहित्यिक संस्कार है
जिसे हम सब मिलकर आगे बढ़ाएँगे।
विनम्र विनीत —
ऑथर वेदव्यास मिश्र
सर्वाधिकार अधीन है


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
The Flower of Word by Vedvyas Mishra







