कविता : जहन्नुम....
कैसी हो
लड़की तुम
समझ ही
न सके हम
हमारे साथ
लड़ाया इश्क
गैरों के साथ
हो गई फिक्स
ये तो है सरासर
ना इंसाफी
तुम्हें जहन्नुम में भी ना
मिले माफी
तुम्हें जहन्नुम में भी ना
मिले माफी.......
netra prasad gautam