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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

मोहब्बत दीवानगी आशिक़ी - वेदव्यास मिश्र

मोहब्बत दीवानगी आशिक़ी,
मुझे इसके सिवा कुछ नहीं आता !!
आवारगी का क्या कहना,
इसके बिना भी क्या जीना !!
चाहत के बिना यारो दुनिया में,
कुछ भी नहीं भाता !!

रोमांस जरूरी है ऐ दोस्त जीवन में,
ये योग ही तो है जो निरोग रखे काया !!
हर बात सुहानी लगे,
जीवन की यही माया !!
इस ठगिनी से सभी का
कुछ ना कुछ है नाता !!

----वेदव्यास मिश्र


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सर्वाधिकार अधीन है


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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (6)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सुन्दर लेखात्मक चित्रण ठगिनी माया का सुप्रभात प्रणाम

वेदव्यास मिश्र said

भाई साहब पचौरी जी, हृदयाभिनंदन !! मजा आ गया आपकी प्रतिक्रिया पाकर !! सचमुच ये ठगिनी माया बचपन से ही धोखा दे रही है !! कुछ दिन तक तो बहुत अच्छा चलता है !! हम सिर्फ मिलने के लिए..एक झलकी के लिए चले जाते हैं..तबियत खराब रहने के बावजूद भी..मगर वई...कुछ दिन के बाद भइया बोलकर और छोड़कर आगे बढ़ जाती हैं 😍😁😁😍

Suman Yadav said

Sach kaha aapane jivan mein sab kuchh karna jaruri hai tabhi Anubhav hota hai aur vahin se ham sikhate Hain

वेदव्यास मिश्र said

Suman Yadav जी, आपने अपना कीमती समय मेरी रचनाओं को दिया है जिसके लिए शुक्रिया शब्द कम लग रहा है बल्कि इन सबसे ऊपर उठकर एक शानदार पहल है आपका !! जिसके लिए सेल्यूट आपको 🌈🌈

कमलकांत घिरी said

बहुत सुंदर पंक्ति है सर जी 👌👌।।प्रणाम।।🙏

वेदव्यास मिश्र said

कमलकांत घिरी जी, सहृदय आभार शुभाशीष नमन मेरे हृदयप्रिय 🙏💝💝🙏

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