अपना हुनर दिखाना उसके हुनर से लड़ना।
सब देख रहे दिल-ए- बिस्मिल का तड़पना।।
जिगर का होना आवश्यक नही आँसू पोछना।
कातिल की मुसीबत खुद से सीखा झगडना।।
बड़ी बड़ी फेंकने का तरीका छोटा निकला।
महंगाई और बढ़ायेगा इसी तरह से भड़कना।।
हँस-हँस कर अपने ज़ख्म-ए-जिगर ना देख।
कुछ हाथ ना लगेगा बिजली के जैसे कडकना।।
कोई तो होगा 'उपदेश' मोहब्बत फ़ैलाने वाला।
बैठ कर बात करना समझौते पर ना अकड़ना।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद