एक दिन कुछ जमीनें एक साथ एक जगह आई,
उन्होंने एक दूसरे को एक बात बताई,
हकीकत में वो बातों ही बातों में जोर से चिल्लाईं,
हर जगह ये आफ़त आई ,
सभी जमीनें अपनी अपनी जगह छोड़,
उसी एक जगह आई,
बात हर नाके तक पहुँचाई,
जमीनों की जुबाने सामने आई,
रात में घर में सोते लोगों को नींद ना आई,
क्या हुआ, क्यों यह जग हँसाई,
लोगों की हरकतें सामने आई,
चेहरे पर झुर्रियां छाईं,
अब चलो जमीने कहाँ ललचाई,
लोगों की भीड़ जमीनों के पास आई,
क्या है दिक्कत और क्या है लड़ाई,
जमीनों की मुस्काने सामने आई,
बोली अब साथ क्यों हो?
अब क्यों अक्ल आई,
बात लोगों के ज़हन में ना आई,
ढूंढ रहे थे अपनी परछाई,
खाली दिमाग को बात पचा ना पाई,
जमीने एक ही जगह है,
यह लोगों की साजिशें से ना देख पाई।।
- ललित दाधीच।।


The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra
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