ज़माने भर की बाते करके हमें जब जब बहलाते।
जीवन में प्रेम बढ़ाते हृदय को चन्दन सा महकाते।।
जब कभी भी टूटने लगता भरोसा जिन्दगी से मेरा।
बनकर आस आते ढाढस बंधाते विश्वास बन जाते।।
दर्द के आँसू कभी भी आने नही देते मेरी आँखों में।
हँसी बनकर किस तरह तुम मेरे अधरों पर छा जाते।।
तन्हाई रात जब बेचैन करती कभी भी अंधेरों में।
बनकर उजाला 'उपदेश' जज्बाती जीवन में आते।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद