वो! मेरा महबूब, मेरा दिलबर,
दिल क्या जाँ निसार उस पर।
सब को मालूम इश्क़ है तुझसे,
एक तू ही इस बात से बेखबर।
दुनिया चिढ़ाती है तेरे नाम से,
एक तू ही है जिसे नहीं खबर।
निकाल के रख दूँ सामने दिल,
तब आ जाए मेरा प्यार नज़र।
गलियाँ सजाईं हैं तेरे नाम से,
आना देखने मेरे दिल का शहर।
🖊️सुभाष कुमार यादव