कापीराइट गजल
इक रोज यहां से मैं चला जाऊंगा
साथ में याद तेरी मैं लिए जाऊंगा
किसे बताऊं मैं दर्द तुमने जो दिए
होंठ अपने यूं ही, मैं सिये जाऊंगा
ये खुशियां सभी, मुबारक हो तुझे
साथ यूं गम को मैं लिए जाऊंगा
भूल कर भी मुझे, भुला न पाओगे
बन के ख्वाब कोई मैं चला आऊंगा
मेरे जाने पर तू गम न करना कभी
दे के यादें तुमको मैं चला जाऊंगा
जब भी करोगे तुम यूंही चर्चा मेरी
साथ में दौर नया मैं लिए आऊंगा
जाना है सभी को एक दिन यादव
लौट कर फिर से, मैं नहीं आऊंगा
- लेखराम यादव
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