धर्म कोई जड़ वस्तु नहीं
कोई पत्थर नहीं
जहाँ रख दें,वहीं रुक जाए
धर्म भी प्राणी की तरह है
उसकी भी निश्चित आयु है
समय के बदलाव में वह भी नई श्वास लेता है
समय के साथ आगे चलता है
परिस्थिति अनुसार बदलता भी है
कितनी प्रथाएँ खत्म हुईं
यह धर्म के जड़ न होने का प्रतीक है
यह हमें जीवन का सही मूल्य बताता है
हमारे ग्रन्थों की यही गाथा है
लड़-झगड़ कर इन्हें नष्ट नहीं करना है
समयानुसार सही निर्णय से आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोना है ..
-वन्दना सूद