इश्क़ क्या।।
मेरे हाल में अब तुम,
मेरी बाहों को रहने दो,
जो रहते थे इनमें,
उनके हाल ना पूछो,
हम दोनों के सीने की,
जलती आग ना फूंको,
हे दिल में बड़ी सवालों की बेड़ियां,
खोलो तुम जवाबों से भले ही ये बेड़ियां,
अब ये ना पूछो तुम,
हम दोनों को क्या हुआ,
दिल की राख पर बैठे,
दोनों का सीना ख़ाक ना हुआ,
दिल को रखने वालों, ये जान लो अब तुम,
इश्क़ इंसानी नहीं है, इसका घर ही दिल है
इंसानों की महफ़िल में कोई नहीं मिलता है,
इश्क़ जिन दिलों में है,
बस वहाँ दिल से दिल मिलता है।
बस दिल से दिल मिलता है।।
- ललित दाधीच।।