कापीराइट गजल
कहना, तो बहुत था, मगर हम चुप रहेंगे
हम हाले दिल अपना तुम से फिर कहेंगे
इस बेबसी पर ए दोस्त क्या कहें तुमसे
थरथरा जाते हैं लब गर कुछ भी कहेंगे
मेरी बातों की फेहरिस्त है बहुत लम्बी
फिर भी आपसे हम अब कुछ तो कहेंगे
गर तुम चाहते हो सुनना तो सुन गौर से
हम इस दिल के सारे, ये जज्बात कहेंगे
अगर आए ना पसन्द, तुम्हें ये बात मेरी
फिर तुमसे मिलके एक मुलाकात करेंगे
अगर मुलाकात भी तुम्हें रास आए नहीं
तो ये सोचेंगे हम फिर, क्या बात कहेंगे
यूं सोचने से कुछ भी नहीं होता यादव
उन से कह दो अब तो हम बात करेंगे
- लेखराम यादव
( मौलिक रचना )
सर्वाधिकार अधीन है