कहते है गर्दिश में जिसकी फितरत बदली।
मनमौजी इतनी कि मन बहलाने को मिली।।
वह जीने के लिए मरती छोड़ आई दुनिया।
स्वभाव से खिलने को तैयार दिल की कली।।
हवा बेईमान सताए दिल बाग-बाग उसका।
इशारे तरह-तरह कर के 'उपदेश' आ मिली।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद