आंतक का साया कूर समय था वह आया
दूर क्षितिज तक धुआँ ही धुआँ छाया
हर तरफ फैली नफरत की आग
ईर्ष्या द्वेष की घिनौनी फांस
इसने इन्सा को इन्सा से लड़वाया
धर्म से धर्म को रौदवाया
हंसती हुई दुनिया को इसमें तपाया
चीत्कार की करूण क्रदना
वात्सल्य से दूर हुईं ममता
उजड़ गया किसी का सुहाग
बचपन हुआ फिर अनाथ
मनुज ने लिया राक्षसी अवतार
करता है क्रूर अत्याचार
हंसते को रुलाकर फिर ठहाका लगाकर आतक की आग मे दुनिया को जलाकर वो दीवाली मनाता आज
कहीं गोली कहीं बम की भयंकर
दिल दहलाने वाली आवाज
सडको पर पट गयी लाश
करती हूँ मैं इस कृत्य की भतर्सना
क्या होता है आतंकवादी और
आतंकवाद
जो देता है धर्म दुहाई हर बार
किसी धर्म ने यह सीख नहीं सिखायी
तूने कहा से यह शिक्षा थी पायीं
✍अर्पिता पांडेय

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




