कितना कुछ लिख लेते है गजल में।
सहलाए जाते कई विचार गजल में।।
प्रतीक के माध्यम से सजा लेते फूल।
दुख उदासी को बढा लेते गजल में।।
गर्म झील में उतरकर महसूस करके।
महबूब को भी बुला लेते गजल में।।
ठंडे पानी के झरने के नीचे 'उपदेश'।
खडे होकर ख्वाब सजा लेते गजल में।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद