प्यार उससे कितना करते हैं,
ये उसे बताते रहते हैं। (2)
याद नहीं रहता हमे
कि है हमारा इश्क़ एकतरफा,
और भूल कर प्यार की पहल करते रहते हैं।
हम उसे दिलो जान से चाहते हैं,
मोहब्बत उससे टूटकर करते हैं।
वो नादान समझता क्यों नहीं,
कि हम उसे कितना प्यार करते हैं।
वो समझता नहीं, नासमझ है,
ख़ैर कोई बात नहीं।
पर ये मेरा दिल बिल्कुल बच्चा ही है,
उसके इस बर्ताव को समझता ही नहीं है।
भूल जाते हैं हम बार-बार,
चोट दिल पर खाते हैं हर बार।
पागलों की तरह प्यार करते हैं उसे,
और फिर से होते हैं इस दिल पे जबरदस्त वार।
हम चाहते हैं वो भी चाहे हमे ऐसे,
जैसे हम चाहते हैं उन्हें,
पर हम ये भूल जाते हैं।
कि ये इश्क है एकतरफा,
वो कैसे चाहेंगे हमे।
"रीना कुमारी प्रजापत"