धूप की तपिश में विचारशील करिश्मा।।
रास्ता दिखाते जा रहा आज का रहनुमा।।
जवानी के रास्ते समय कैसे संवारते यहाँ।
पल पल समझाता रहा तर्कशील रहनुमा।।
हर साँस में बोझ सीने पर महसूस करती।
बोझ हल्का करता रहा गतिशील रहनुमा।।
आस लगाई नही भरोसा खुद पर नही था।
चमक दे गया 'उपदेश' प्रगतिशील रहनुमा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद