होली और अर्थी
एक तरफ होली का त्योहार सजा था
और एक तरफ किसी का अर्थी सजा था
हम होली मना रहे थे और वें शोक मना रहे थे
हम रंगों से होली खेलते हुए खिलखिला रहे थे
और वो लोग किसी के जाने से आंसू बहा रहे थे
हम रंगों से रंगे थे और वो हल्दी से रंगे थे
हम खुशी से गुलाल उड़ा रहे थे एक दूसरे के ऊपर
और वें दुखी से उड़ा रहे थे उस अर्थी के ऊपर
कितनी अजीब घटना थी न
हम खुश बहुत थे और वें दुःखी बहुत थे...।।
- सुप्रिया साहू