तूफानों से इश्क़ हो,
इश्क़ का तूफान हो,
इश्क़ का समंदर,
समंदर आंखों के अंदर,
इश्क़ का झरना,
झरता रहा इश्क़ से,
इश्क़ का दिल,
जिसमें गहरा तल,
जिसमें इश्क़ भरा हो,
इश्क़ के पौधे खिले,
इश्क़ के फूल खिले,
इश्क़ की महक हुई,
इश्क़ की सांसें आई,
इश्क़ के इस बदन में,
इश्क़ इश्क़ रह गया,
जिसे देखा करता,
दिखता वही इश्क़ है,
जिसे कहता हूं,
लिखता वही इश्क़ है,
सब जगह इश्क़ सुनना चाहा,
इश्क़ हुआ नहीं है,
ये इश्क़ होगा,
उसके पहले का असर है,
इश्क़ का लफ्ज़ छू गया था मुझे,
और जब से,
मेरा इश्क़ इश्क़ इश्क़ इश्क़ इश्क़ हो गया।।
- ललित दाधीच।।