इस नज़र ने बिगाड़ा है क्या आपका,
बस हमें इतना दिलबर बता दीजिये !!
खोजती हैं तुझे ही न जाने ये क्यों,
अपनी थोड़ी इनायत जता दीजिये !!
क्या चला जायेगा जानेमन आपका,
हुस्न ये तो करम है किसी और का !!
आज है कल नहीं..बात समझें ज़रा,
इस फ़कीरे जिगर पे वफ़ा कीजिये !!
आपने दिल को मेरे क्या समझाया है,
बनके बुत की तरह अब धड़कता है ये !!
बोलता ही नहीं कुछ भी बेताब दिल,
जानेमन थोड़ी अब तो तरस खाइये !!
वेदव्यास मिश्र की फिर वही
💝😍आशिक़ाना कलम से..
सर्वाधिकार अधीन है

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




