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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

नारी हूं मैं


नारी हूँ मैं नारी हूँ मै
खड्गधारी काली हूँ मै
अबला नहीं सबला हूँ मै
ममता वात्सल्य की प्यारी मूरत
त्याग बलिदान की सूरत
सॄष्टि की जननी हूँ मै
धरती सी सहन शक्ति मुझमें
ब्रह्मविधाशक्तिस्वरूपिनी हूँमै
सॄष्टि का विस्तार है मुझसे
पुरुष की निर्मात्री हूँमै
नारी हूँमै
विश्व समझे अबला क्यूँ मुझको
क्यों अत्याचार सहू मै
मुझसे ही संसार चल है
मै नही तो सॄष्टि अचल है
संस्कार जग मुझसे पाता
फ़िर शोषण क्यों मेरा किया जाता है
नारीत्व स्नेह ममता की अमृत धारा हूँ
श्रध्दा हूँमै भक्ति हूँमैं
नारी हूँमै
सम्पूर्ण जगत को कर्म क्षेत्र बनाकर
कर्तव्य की खातिर छोटी हो जाती
कभी बड़ी बन दायित्व निभाती
मातृभाषा भी मुझसे पनपती
मुझसे बड़ा धरा पर कौन है
मै ज्योति हूँ मै माटी हूँ
मै नारी हूं मैं
ओ जग क्या मुझको पहचान लिया
नही जाना तो तो जान लो मुझे
नारी हूँ मै
पुरुष जब दंभी हो जाये
दंभ का नाश कर उसे कोमल बनाती है
फ़िर यश मार्ग पर आगे बढ़ाती
मै स्वतंत्र हूँ 'मै उच्छृंखल नही
आदर्श की सृजना मै करती
पर हित की खातिर मर मिटती
पर हूँ बड़ी मै स्वाभिमानी
नारी हूँ मै नारी हूँ मै
खड्ग धारिणि काली हूँ मै




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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (1)

+

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

सम्मान भाव - पूज्य भाव - प्रणाम!!

Arpita pandey replied

धन्यवाद आपका

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