नारी हूँ मैं नारी हूँ मै
खड्गधारी काली हूँ मै
अबला नहीं सबला हूँ मै
ममता वात्सल्य की प्यारी मूरत
त्याग बलिदान की सूरत
सॄष्टि की जननी हूँ मै
धरती सी सहन शक्ति मुझमें
ब्रह्मविधाशक्तिस्वरूपिनी हूँमै
सॄष्टि का विस्तार है मुझसे
पुरुष की निर्मात्री हूँमै
नारी हूँमै
विश्व समझे अबला क्यूँ मुझको
क्यों अत्याचार सहू मै
मुझसे ही संसार चल है
मै नही तो सॄष्टि अचल है
संस्कार जग मुझसे पाता
फ़िर शोषण क्यों मेरा किया जाता है
नारीत्व स्नेह ममता की अमृत धारा हूँ
श्रध्दा हूँमै भक्ति हूँमैं
नारी हूँमै
सम्पूर्ण जगत को कर्म क्षेत्र बनाकर
कर्तव्य की खातिर छोटी हो जाती
कभी बड़ी बन दायित्व निभाती
मातृभाषा भी मुझसे पनपती
मुझसे बड़ा धरा पर कौन है
मै ज्योति हूँ मै माटी हूँ
मै नारी हूं मैं
ओ जग क्या मुझको पहचान लिया
नही जाना तो तो जान लो मुझे
नारी हूँ मै
पुरुष जब दंभी हो जाये
दंभ का नाश कर उसे कोमल बनाती है
फ़िर यश मार्ग पर आगे बढ़ाती
मै स्वतंत्र हूँ 'मै उच्छृंखल नही
आदर्श की सृजना मै करती
पर हित की खातिर मर मिटती
पर हूँ बड़ी मै स्वाभिमानी
नारी हूँ मै नारी हूँ मै
खड्ग धारिणि काली हूँ मै