दौड़ता है हर रोज़ आदमी कहा जायेगा
हवा में है गुब्बार धुएं का कहा जायेगा
निकला है जो घर से समसान तलक जायेगा
और उम्र भर पूछता रहा कि कहाँ जाएगा
निकला है पूर्व से पश्चिम तक ही जायेगा
पूछता है आफताब से कि कहाँ जाएगा
जन्नत ओ जहनुम की बातें दिल बहलाती है
कोई नहीं जानता कि कौन कहाँ जाएगा
है जिंदगी की दिवार खड़ी हर जानिब
छिप कर मौत से आदमी कहाँ जाएगा