एक हैवान को जला दें,
इसमें बुरा क्या है।
छा जाए यदि खौफ
इसमें खता क्या है।
समझौता इतना भी,
न करो जिंदगी से।
भूल जाएं वह,
तुम भी इंसान हो।
आत्मा पर हुई है चोट,
बर्दाश्त नहीं होगी।
वहशी, दरिंदों का,
खात्मा करना ही होगा।
दुर्गा बन, रणचंडी बन,
लहू से खप्पर भरना ही होगा।