सब सपनों से ऊँचा, अपना वतन हमारा,
फूलों से भी प्यारा, इस धरती का सितारा।
हिमगिरि की चोटी बोले, अंबर को चूम आओ,
सागर की लहरें गाए, इसको नमन कर जाओ।
हर कोना है पावन, जैसे प्रभु का द्वारा,
सब सपनों से ऊँचा, अपना वतन हमारा।
गंगा की निर्मल धारा, जीवन का आधार,
यमुना का संगीत है, सुख का मधुर विचार।
खेतों में हरियाली, सजा है श्रम का तारा,
सब सपनों से ऊँचा, अपना वतन हमारा।
वीरों की ये भूमि है, शूरों का है किला,
संतों के चरणों से, मिटे द्वेष औऱ गिला।
सत्य की जो ज्योति जले, मिट जाए अँधियारा,
सब सपनों से ऊँचा, अपना वतन हमारा।
हम प्रेम के दीपक हैं, जलते जहाँ तलक,
ज्ञान का हम संदेश दें, हो सारा जग दहक।
जहाँ मिलें हर हृदय को, प्यार का दृढ सहारा,
सब सपनों से ऊँचा, अपना वतन हमारा।
हर हाथ में हो ताक़त, हर दिल में हो सुकून,
भेद मिटा हर दिल में,विश्व गुरु बनने का जुनून ।
जहाँ सजे ये धरती, जैसे नवल नज़ारा,
सब सपनों से ऊँचा, अपना वतन हमारा।
-इक़बाल सिंह “राशा“
मनिफिट, जमशेदपुर, झारखण्ड