अपनी रहमतों से हमें ऐसा झुका दिया
कि सांस सांस पर कर्ज़ा चढ़ा दिया
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हमारे चंचल मन की डोर अपने ही हाथ में रखना
सुखों के पलों में खींच कर रखना
दुखों के पलों में थाम कर रखना
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सांसें सीमित हैं,फिर भी उनकी गिनती नहीं रखते हैं ।
हरि नाम असीमित अन्नत है,फिर क्यों जपते हुए उनकी गिनती रखते हैं ॥
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