याद
कभी हम मिले थे पेड़ के तले याद है
आज रुसवा क्यों है दिल में, फरियाद है।
तुम्हारा वह रूठना वो मेरा मनाना घंटे भर
बारिश की बूँदों में भीगना आज भी याद है।
दो चार कदम ही चले थे चमन में हम साथ
तुम्हारा थकना, वो तुम्हें उठाना याद है।
घर बसाने की बात तुमने ही की थी मुझे
यों अकेले ही राह में छोड़ देना याद है।
जिंदगी तो यूँ ही गुजर रही है, जानते सभी
जिंदगी में हम कबसे जुड़े हैं, आज याद है।
प्रा धन्यकुमार जिनपाल बिराजदार, सोलापुर, महाराष्ट्र