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The Flower of WordThe Flower of Word by Vedvyas Mishra

कविता की खुँटी

        

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Dastan-E-Shayra By Reena Kumari PrajapatDastan-E-Shayra By Reena Kumari Prajapat

कविता की खुँटी

                    

अंजाम - ए - वफ़ा

अंजाम -ए -वफ़ा ये हुआ,
कि मेरा रोम -रोम ख़ाक हुआ।
सज़ा मिली मोहब्बत की ये,
कि बदनामी मेरा ताज हुआ।

अदाएं ऐसी दिखाती थी मानो वो भी हमसे
इश्क़ करती हो,
पर हम नादान सच को समझ ना पाए।
और आज भरी महफ़िल में उससे मोहब्बत का
इज़हार कर दिया,
फिर उस बेवफ़ा ने मुझे बर्बाद कर दिया।

नाज़नीन समझा था उसे मैंने अपनी,
पर वो दग़ा - बाज़ी कर गई।
छोड़ मुझे यूं वो,
खुद के ही साथ लापरवाही कर गई।

देख उसके कारनामे
दिल ये मेरा शादाब हुआ,
और खाकर उससे धोखा अब मैं
नायाब हुआ।
सज़ा मिली मोहब्बत की ये
कि बदनामी मेरा ताज हुआ।

(रीना कुमारी प्रजापत)








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रचना के बारे में पाठकों की समीक्षाएं (4)

+

आत्माराम जानकी said

बहुत सुन्दर रचना

आत्माराम जानकी said

बहुत सुन्दर रचना,बहुत खूब लिखा

अशोक कुमार पचौरी 'आर्द्र' said

"सज़ा मिली मोहब्बत की ये कि बदनामी मेरा ताज हुआ" - बहुत सुन्दर - सुप्रभात रीना मेम 🙏🙏

रीना कुमारी प्रजापत replied

Shukriya

Muskan Kaushik said

अंजाम ए वफा सुंदर एवं रोचक Vishay बहुत खूब रीना ji

रीना कुमारी प्रजापत replied

Thanks

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