कह दो उस फलक से
ज्यादा इतराना ना
चांद तारें अगर तेरे
पास हैं तो
एक सितारा जमीं पर
भी है।
लाख़ ज़ोर लगा ले
खिजाएं ...
एक बहार इस ओर भी हैं।
तप कर संघर्षों की भट्ठी में
खारा सोना बन गया है जो
ऐसा हीरा आज़ भी है।
मन को साध कदमों को
साधने वाला।
एक इस्तेहार आज भी है।
दिल के कोने में टिमटिमा रहीं
मोहब्बत की दीया ।
अब आन मिलो
छोड़ो उन बातों को
की किससे कौन गिला।
फैला कर बाहों को अपनी
ले लो आगोश में।
फिर ना कहना किसको कौन
मिला..
किससे किसको गिला।
क्योंकि इंतजारों की फहरिस्तें आज भी है
इंतजारो की फहरिस्तें आज भी है...