कोई भी बेटी, जब हैवानियत का शिकार होती है।
दुराचारी पापी के कारण,पूरे भारत की आत्मा रोती है।
पूरा परिवार विलखता, पछाड़ खाते सुबह होती है।
चार दिन समाचार पत्रों में, चार दिन चैनल पर बहस होती है।
नतीजा ढाक के तीन पात, जब रात होती है।
वह एक जघन्य अपराधी, मासूम सी शक्ल होती है।
बड़े-बड़े नेता,बड़े-बड़े वकील, उसके पक्ष में, जब अदालत शुरू होती है।
उसके ही परिवार की, धज्जियां उड़ाई जाती है।
वह वहशी दरिंदा, फिर घूमता है खुलेआम सड़कों पर।
एक नए शिकार की तलाश में, नशे में चूर होकर।
फिर अगली सुबह,एक खबर छपती है।
पीड़िता को न्याय ना मिला, परिवार सहित लटके पड़े हैं आम के पेड़ पर।