एक शख्स क्या गया, की पूरा काफिला गया
तूफ़ा था तेज, पेड़ को जड़ से हिला गया।
जब सल्तनत से दिल की ही रानी चली गई
फिर क्या मलाल तख्त गया या किला गया।।
किस्मत मे कोई रंग क्या धानी भी लिखा है
बस हरफ ही लिखे हैं, या मानी भी लिखा है।
सूखी जुबान जिंदगी से पूछने लगी
बस प्यास भी लिखी है की पानी ही लिखा है।।
पत्थर की चमक है न नगीने की चमक है
चेहरे पे सीना तान के जीने की चमक है।
पुरखों से विरासत मे हमें कुछ न मिला था
जो दिख रही है खून पसीने की चमक है।।
किस्मत की बाजियों पर इख्तियार नहीं है
सब कुछ है जिंदगी मे मगर प्यार नहीं है।
कोई था जिसको यार करके गा रहे हैं हम
आँखों मे किसी का अब इंतजार नहीं है।।
जंगल जो जलाए थे उनमे बस्तियां भी थी
काँटो के साथ फ़ूल पे कुछ तितलियाँ भी थी।
तुमने तो गला घोंट दिया तुमको को क्या एहसास
इसमे किसी के नाम की कुछ हिचकियां भी थी ।।
मुझको ना रोकिए, ना ये नजराने दीजिए
मेरा सफ़र अलग है मुझे जाने दीजिए।
ज्यादा से ज्यादा होगा ये की हार जाएंगे
किस्मत तो हमें अपनी आजमाने दीजिए।।
मुश्किल थी सम्भालना ही पड़ा घर के वास्ते,
फिर घर से निकालना ही पड़ा घर के वास्ते।
मजबूरीयों का नाम हमने शौक रख दिया,
हर शौक बदलना ही पड़ा घर के वास्ते ।।
जिस रास्ते पे चल रहे उस पर हैं छल पड़े
कुछ देर के लिए मेरे माथे पर बल पड़े।
हम सोचने लगे की यार लौट चलें क्या
फिर सोचा यार चल पड़े तो चल पड़े।।

The Flower of Word by Vedvyas Mishra
The novel 'Nevla' (The Mongoose) by Vedvyas Mishra



The Flower of Word by Vedvyas Mishra




