एक सुकून का ठहराव उन आँखों में देखा।
बिन कहे थोड़ा झुकाव इन आँखों ने देखा।।
न जाने कितनी खामोशी छुपाए हुए आँखें।
गहराई का एहसास भी इन आँखों ने देखा।।
मैखाने की शराब सी लगती आँखें उसकी।
खून के बहाव में दबाव इन आँखों ने देखा।।
उसके चेहरे का नूर और बढ़ गया देखकर।
बिन पिये बहकने का सुरूर आँखों ने देखा।।
खूबसूरती के चर्चे पहले भी सुने थे 'उपदेश'।
हकीकत का अन्जाम अभी आँखों ने देखा।।
- उपदेश कुमार शाक्यावार 'उपदेश'
गाजियाबाद