हास्य कविता- लुजमोसन....
कविता के माध्यम से
डाल रहा रोशन
किसी को भी न हो
कभी लुजमोशन
बताता हूं कहानी
न करते हुए देरी
बहुत साल पहले की
है एक बात मेरी
लुजमोसन चलते
चलते स्कूल को चला
बेंच पर बैठा ही था कि
मलद्वार से मेरे .......निकला
मेरे लिए मुसीबत
हो गई बहुत बड़ी
50 लड़के लड़कियों में सर की
नजर मुझ पर ही पड़ी
सर बोले, होम वर्क करके
आए यहां जल्दी आओ
ढंग से किया या नहीं
जरा हम को दिखाओ
मैं होम वर्क दिखाने हेतु
बेंच से उठा जभी
कलास के लड़के लड़कियां
हंसने लगे सभी
क्यों की थी मेरी
हालत बहुत ढीली
मेरी थी पैंट गीली
बेंच भी थी गीली
उस बखत की ये बात
सत्य और सही है
आगे की हालत मेरी
बताने लायक नहीं है
आगे की हालत मेरी
बताने लायक नहीं है .......