सत्य की पहचान होती है ज़रूर
हर सुबह की शाम होती है ज़रूरll
बीच में जब अर्थ आ जाता है तो
दोस्ती नाकाम होती है जरूर ll
क्या करें सब खेल है तकदीर का
हर कली बदनाम होती है जरूर ll
प्यार से जब चूमता हूं उसका गाल
वो बहन कुर्बान होती है जरूर।।
मिल गई जो भी समंदर के गले
वो नदी गुमनाम होती है जरुर।।
बंद कमरों में। कभी पलती नहीं
जिन्दगी कुछ आम होती है जरुर।।