रिश्तों की अहमियत समझा कीजिए
यूं ना रोष में रहा कीजिए
क्योंकि ये रिश्तें हीं हमें
आदमी बनातें हैं।
प्यार क्षमा त्याग बलिदान
सिखाते हैं।
ना हो ऐसे गुण तो क्या ख़ाक
रिश्ते चलेंगें
रिश्तें तो फिर रिसते रिसते रहतें हैं
और समय के साथ साथ
सूखे धूल धूसरित हो जातें हैं।
सो रिश्तों को रिसने मत दीजिए
हैं ये बड़े हीं नाज़ुक इनको
संभल कर रख लीजिए।
और इस भ्रम में ना रहें कि
पराए अपने हो जायेंगें
अरे पराए जब अपने हो जाते तो
लोग अपनों के लिए मरते हीं क्यों
और बिन लालच के पराए कभी
सटते नहीं..
इसलिए रिश्तों को संभालिए
जरा अस्तिनों को ढीला रखिए
यूं न तैस में चलिए
रिश्तों की नज़ाकत को तो समझिए..
रिश्तों की नज़ाकत को समझिए...